Pankaja Munde लातूर, 12 अगस्त 2025: भारतीय जनता पार्टी (BJP) की नेता पंकजा मुंडे आज लातूर में अपने पिता और महाराष्ट्र के दिग्गज नेता गोपीनाथ मुंडे की प्रतिमा के अनावरण के मौके पर भावुक हो गईं। इस दौरान उन्होंने 2014 में हुए अपने पिता के अचानक निधन की पीड़ादायक यादें साझा कीं और बताया कि कैसे तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उस समय गोपीनाथ जी के शव के पास खड़े थे।
यह भी पढ़िए : Donald Trump 50% tariff on India: भारत के लिए इंटरनेशनल मार्केट से आई गुड न्यूज़! डोनाल्ड ट्रंप को पहला झटका, 50% टैरिफ का असर
Pankaja Munde गोपीनाथ मुंडे की प्रतिमा का अनावरण
लातूर के जिला परिषद प्रांगण में गोपीनाथ मुंडे की पूर्णाकृति प्रतिमा स्थापित की गई। इस कार्यक्रम में मौजूद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिमा का अनावरण किया। पंकजा मुंडे ने कहा कि “यह गोपीनाथ जी की ही इच्छा रही होगी कि मुख्यमंत्री के रूप में देवेंद्रजी उनकी प्रतिमा का अनावरण करें।”
“देवेंद्रजी उनके शव के पास खड़े थे…” – पंकजा मुंडे की आंखों में आंसू
पंकजा मुंडे ने उस दिन की याद करते हुए कहा:
Pankaja Munde “आज का दिन ऐसा है कि मुझे समझ नहीं आ रहा क्या बोलूं। जिस दिन पापा (गोपीनाथ मुंडे) का निधन हुआ, उस धक्के से हम सभी स्तब्ध थे। जब मैं दिल्ली के अस्पताल पहुंची, तब वहां मुझे कोई जानने वाला नहीं लगा। लेकिन देवेंद्रजी (फडणवीस) उनके पार्थिव शरीर के पास खड़े थे। मैंने उन्हें पुकारा और फूट-फूट कर रोने लगी। नितीन गडकरी जी ने फोन करके बताया था कि क्या हुआ है, लेकिन मैं यही सोच रही थी कि शायद पापा अभी जीवित होंगे… उनकी मौत को स्वीकार करने में मुझे काफी समय लग गया।“
“मैं उनकी वारिस हूं” – पंकजा मुंडे का संघर्ष
गोपीनाथ मुंडे ने अपने जीवनकाल में ही पंकजा को अपनी राजनीतिक विरासत सौंप दी थी। पंकजा ने बताया:
“2014 के चुनावों में पापा ने मुझे धन्यवाद कहा। जब मैंने पूछा कि ऐसा क्यों, तो उन्होंने कहा – ‘एक दर्जन विधायक तुम्हें हराने पर तुले थे, लेकिन तुमने अकेले ही 12 विधायकों को मात दे दी। इसलिए मैंने तुम्हें अपनी वारिस चुना।'”
उन्होंने यह भी कहा कि गोपीनाथ मुंडे ने उन्हें सिखाया था कि “राजनीति में क्या नहीं करना चाहिए” और यही उनकी सबसे बड़ी सीख थी।
Pankaja Munde “लोगों का प्यार ही मेरी सबसे बड़ी संपत्ति है”
पंकजा मुंडे ने कहा कि उनके पिता के निधन के बाद कई युवाओं ने आत्महत्या कर ली, एक मुस्लिम युवक का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्होंने कहा:
“यह सब क्या था? यह सिर्फ प्यार था। लोगों का यह प्यार मेरे लिए किसी पद, प्रतिष्ठा या धन से बढ़कर है। पापा ने मुझे सिखाया था कि जनता के हित में कभी समझौता करना पड़े तो करो, लेकिन संघर्ष करना भी जरूरी है।”
Pankaja Munde विलासराव देशमुख को याद किया
पंकजा ने गोपीनाथ मुंडे के साथ-साथ पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख को भी याद किया और कहा कि “उन दोनों ने साफ-सुथरी राजनीति का उदाहरण पेश किया था।”
निष्कर्ष
Pankaja Munde पंकजा मुंडे का यह भावुक भाषण साबित करता है कि गोपीनाथ मुंडे न केवल एक महान नेता थे, बल्कि एक अनुकरणीय पिता भी थे। उनकी विरासत आज भी महाराष्ट्र की राजनीति में जीवित है।
FAQ’s:
1. गोपीनाथ मुंडे का निधन कब हुआ था?
जून 2014 में एक सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया था ।
2. Pankaja Munde पंकजा मुंडे ने देवेंद्र फडणवीस के बारे में क्या कहा?
उन्होंने बताया कि गोपीनाथ जी के निधन के बाद देवेंद्र फडणवीस उनके शव के पास खड़े थे ।
3. Pankaja Munde गोपीनाथ मुंडे की प्रतिमा कहाँ स्थापित की गई है?
लातूर के जिला परिषद प्रांगण में ।
4. Pankaja Munde पंकजा मुंडे ने अपने पिता से क्या सीखा?
उन्होंने सीखा कि “राजनीति में क्या नहीं करना चाहिए” ।
5. गोपीनाथ मुंडे को भाजपा में किस रूप में जाना जाता था?
वे भाजपा के ओबीसी चेहरे और महाराष्ट्र में पार्टी के विस्तारक के रूप में प्रसिद्ध थे ।
6. Pankaja Munde पंकजा मुंडे ने किसे अपना गुरु माना?
उन्होंने गोपीनाथ मुंडे को अपना गुरु बताया ।
7. क्या गोपीनाथ मुंडे और विलासराव देशमुख के संबंध अच्छे थे?
हां, पंकजा ने कहा कि दोनों ने साफ-सुथरी राजनीति का उदाहरण पेश किया ।
8. Pankaja Munde पंकजा मुंडे ने किस गीत को याद किया?
“एक आह भरी होगी, हमने न सुनी होगी, जाते जाते तुमने आवाज तो दी होगी…“ ।
9. गोपीनाथ मुंडे ने पंकजा को कब वारिस घोषित किया?
2014 के चुनावों के बाद ।
10. Pankaja Munde पंकजा मुंडे के अनुसार, लोगों का प्यार क्यों महत्वपूर्ण है?
क्योंकि यह किसी पद या धन से बढ़कर होता है ।