G-ZPPKZFFYSH Uddhav Thackeray: उद्धव ठाकरे का तड़का भरा भाषण – लोकतंत्र, किसानों से लेकर राजनीति तक

Uddhav Thackeray: उद्धव ठाकरे का तड़का भरा भाषण – लोकतंत्र, किसानों से लेकर राजनीति तक

Uddhav Thackeray मुंबई में मार्मिक पत्रिका का वर्धापन दिन हमेशा राजनीतिक मसाले से भरपूर होता है, लेकिन इस बार उद्धव ठाकरे ने जो कहा, वह सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक चर्चा का विषय बन गया। किसानों की आत्महत्या से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, और एकनाथ शिंदे से लेकर बीजेपी सरकार तक – उद्धव ने किसी को नहीं छोड़ा।

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Uddhav Thackeray मार्मिक का वर्धापन दिन – कार्यक्रम की खास झलकियां

मुंबई में आयोजित इस कार्यक्रम में माहौल हल्का-फुल्का भी था और तीखा भी। उद्धव ठाकरे का भाषण व्यंग्य, कटाक्ष और सच्चाई का मिक्स था।


उद्धव ठाकरे का जोरदार आगाज़

Uddhav Thackeray जैसे ही उद्धव ने मंच संभाला, सबसे पहले उन्होंने उन मुद्दों को उठाया जिन्हें अक्सर राजनीति में ‘साइडलाइन’ कर दिया जाता है – किसानों की आत्महत्या, रोजगार, और लोकतंत्र की हालत।


Uddhav Thackeray लोकतंत्र की हालत पर बड़ा बयान

सरन्यायाधीश बी. आर. गवई को सीधी अपील

उद्धव ठाकरे ने देश के मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई को धन्यवाद देते हुए कहा –
“आपने भटकते कुत्तों के मुद्दे पर ध्यान दिया, यह आपकी जिम्मेदारी का सबूत है। लेकिन, लोकतंत्र भी सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर तड़प रहा है, उस पर भी ध्यान दें।”

“लोकशाही सुप्रीम कोर्ट के दरवाज़े पर तड़फड़ रही है” – क्या मतलब?

उद्धव का इशारा साफ था – शिवसेना का मामला सालों से सुप्रीम कोर्ट में लटका है और फैसला नहीं आया। चार मुख्य न्यायाधीश बदल गए, पर लोकतंत्र के इस केस का अंत नहीं हुआ।


किसानों की आत्महत्या और असली मुद्दों से ध्यान भटकाना

उन्होंने कहा, “शेतकरी मर रहे हैं, लेकिन मुद्दा कुत्ते, कबूतर और बंदरों पर घुमाया जा रहा है।”

कबूतर, कुत्ते और राजनीति – व्यंग्य का तड़का

Uddhav Thackeray मनका गांधी के बयान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा – “अगर कुत्तों को कैद किया तो बंदर पेड़ों से उतर आएंगे। सच में, कुछ बंदर तो संसद में ही बैठ गए हैं।”


संसद में ‘माकड़’ वाली टिप्पणी

Uddhav Thackeray जयराम रमेश का फोटो और उद्धव का कटाक्ष

उन्होंने कहा, “मैं मजाक नहीं कर रहा, जयराम रमेश ने खुद फोटो डाली थी जिसमें बंदर कुर्सी पर बैठा था।”


सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना का मामला

4 सरन्यायाधीश बदल चुके, पर फैसला अब तक नहीं

उद्धव ने कहा – “अगर लोकतंत्र के मुंह में न्याय का पानी नहीं डाला, तो यह मर जाएगा।”


एकनाथ शिंदे पर सीधा वार

“विंचू चावला” और ‘तोतया एकनाथ’ का जिक्र

उन्होंने संत एकनाथ के भारुड का जिक्र करते हुए कहा – “विंचू चावला संत एकनाथ का है, नकली एकनाथ का नहीं।”


साधु-संतों की सीख और संस्कृति की याद

पुराने गानों और आज की राजनीति का फर्क

उद्धव ने पुराना गाना “जग में नहीं राम रे, दाम करी काम” याद दिलाया और कहा – “आज बीजेपी इसे बैन कर देती क्योंकि इसमें ‘राम नहीं’ कहा गया है, लेकिन असली लाइन है – ‘दाम करी काम’।”


बीजेपी सरकार पर पैसों की राजनीति का आरोप

उन्होंने आरोप लगाया – “आज जय श्रीराम बोलो और पैसे लेकर तांडव करो – यही इनकी राजनीति है।”


उद्धव का संदेश – व्यंग्य के साथ जनजागृति

मार्मिक पत्रिका के जरिए उद्धव ने कहा कि व्यंग्य सिर्फ हंसाने के लिए नहीं, बल्कि जागरूकता लाने के लिए होता है।


Uddhav Thackeray जनता और लोकतंत्र के लिए अपील

उद्धव ने कहा – “जब तक लोकतंत्र बचाने के लिए जनता खड़ी नहीं होगी, तब तक ऐसे हमले होते रहेंगे।”


निचोड़ – क्या बदल सकता है हालात?

Uddhav Thackeray अगर जनता और न्यायपालिका मिलकर खड़ी हो जाएं, तो लोकतंत्र को बचाया जा सकता है। वरना, यह सिर्फ किताबों में बचकर रह जाएगा।


FAQ’s:

Q1. उद्धव ठाकरे ने सरन्यायाधीश गवई से क्या अपील की?
A. उन्होंने लोकतंत्र और शिवसेना केस पर ध्यान देने की अपील की।

Q2.Uddhav Thackeray मार्मिक का वर्धापन दिन क्या है?
A. यह व्यंग्य और राजनीतिक टिप्पणी के लिए मशहूर पत्रिका का स्थापना दिवस है।

Q3. किसानों की आत्महत्या पर उद्धव का क्या कहना था?
A. असली मुद्दे छोड़कर गैरजरूरी बातों पर ध्यान दिया जा रहा है।

Q4. ‘माकड़’ वाली टिप्पणी किस संदर्भ में थी?
A. संसद में बंदर की फोटो पर तंज कसा गया।

Q5. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना का केस कब से लंबित है?
A. लगभग 4 साल से।

Q6. Uddhav Thackeray “विंचू चावला” क्या है?
A. यह संत एकनाथ का एक भारुड (भजन-प्रकार) है।

Q7. उद्धव ने बीजेपी पर क्या आरोप लगाया?
A. धर्म के नाम पर पैसे लेकर राजनीति करने का।

Q8. उद्धव के भाषण में गाना क्यों आया?
A. पैसों की राजनीति पर कटाक्ष करने के लिए।

Q9. Uddhav Thackeray मार्मिक का मकसद क्या है?
A. व्यंग्य के जरिए समाज और राजनीति की सच्चाई दिखाना।

Q10. उद्धव का लोकतंत्र बचाने का संदेश क्या था?
A. जनता और न्यायपालिका को सक्रिय होकर लोकतंत्र की रक्षा करनी चाहिए।

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